An Unbiased View of shiv chalisa lyrics in gujarati
An Unbiased View of shiv chalisa lyrics in gujarati
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अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो here पावन हारी॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥